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19 Mar 2021 · 1 min read

गज़ल

ये दुनियाँ है जैसे कि ….सपना कोई!
है नहीं कोई अपना पराया ….कोई!

सबके सब कर रहे झूठे ….वादे यहाँ,
आके जाते हैं सब,जाके आया कोई!

भूख है तो है खाने कि …मजबूरी भी,
यूं हि बिन भूख खाना न खाया कोई!

साथ सच्चा मिला, जिंदगी …भर रहा,
मुझको साया से बढ़कर न भाया कोई!

सोच लेना तुम्हें प्यार है ………हो गया,
स्वप्न में प्रेमी् जब आता् जाता कोई!

……. ✍ सत्य कुमार ‘प्रेमी’

2 Comments · 218 Views
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