गज़ल सी कविता
कुछ लम्हे जो तेरे संग बिताये थे।
मेरी जिंदगी के कीमती सरमाये थे।
मौसम सुहाना खुशरंग वादियां थीं।
दिन हसीं मदहोश रातों के साये थे।
आज सोचें तो अश्क भर आते हैं।
उस वक्त हम कितना मुस्कराये थे।
हसीं ख्वाब अक्सर अधूरे रहते हैं।
“कंचन” यही बात हम भुलाये थे।
रचनाकार :- कंचन खन्ना, मुरादाबाद,
(उ०प्र०, भारत)।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार)।