गजल
आजादी के दीवाने #सरदार_भगतसिंह_जी के जन्मदिन पर उपहार स्वरूप मेरी ये गजल सादर भाव समर्पित?????????
भगतसिंह नाम कह दो आज भी मन काँपते दुश्मन।
गरज कर आँख दिखला दो अभी डर भागते दुश्मन।।
कहानी सुन भगतसिंह की जवानी लोग जीते क्या ?
अभी तक तो जवाँ है वो दिलों में मानते दुश्मन।।
अमरता पाइ है जिसने गले फंदा लगाकर के।
तभी से हिन्द दिल पर राज, सिंह का जानते दुश्मन।।
शहादत से भगतसिंह के हुये पैदा भगत भारत।
यहाँ घर-घर भगतसिंह हैं यही डर पालते दुश्मन।।
अदब से सर झुका करते कहे गाथा अगर कोई।
वतन श्रद्धा वतन जज़्बा नहीं फिर आँकते दुश्मन।।
भगत सरहद खड़े रहते लिये जाँ खुद हथेली पे।
कदम की ठोकरों से भी यहाँ भू चाटते दुश्मन।।
कहो जूझे नहीं कोई यहाँ बेटा भगतसिंह हर।
अगर हम मारने बैठे नहीं फिर नापते दुश्मन।।
कटायें सर मगर पहले हजारों काट लेते है।
फ़तह हासिल हमें हो फिर मिटा हम डालते दुश्मन।।
जरा सी चाह लेकर हम वतन पर जाँ छिड़कते हैं।
नजर से बच निकल जाये नहीं हम चाहते दुश्मन।।
भगतसिंह के बनाये धर्म पर चलना जरूरी है।
इसी अंदाज के कारण नहीं फिर झाँकते दुश्मन।।
मसीहा है वतन जन भी उसे जज़्बात में रखते।
अजादी सी लड़ाई अब नहीं फिर माँगते दुश्मन।।
यहाँ हर कण भगतसिंह है यही सब मानते भारत।
न भूले से कभी कोई यहाँ कण छानते दुश्मन।।
चलो जज़्बा लिए हम भी चले उस राह पर यारों।
मिटा दें नाम नक्शे से हमें जो डाँटते दुश्मन।।
यही उपहार देते आज हम यारों भगतसिंह को।
रहे आजाद यह भारत, तभी हम काटते दुश्मन।।
संतोष बरमैया #जय