गजल सी जिन्दगी
गजल सी जिन्दगी
एक दूजे को पियारे हो गए।
हम तुम्हारे तुम हमारे हो गए।।1
2122, 2122, 212
जिंदगी मे आ गई जब से बहर।
सामने सुंदर नजारे हो गए।।2
एक मिसरा दूसरे से कह रहा।
एक दूजे के सहारे हो गए।।3
काफिया जब एक सी है हो गई ।
बिन कहे कुछ यूँ इशारे हो गये।।4
मन मिला यूँ रदीफ़ सा तो देखिये।
एक लय तुक तान सारे हो गये।।5
जब गजल माफिक हुई है जिंदगी।
शब्द सारे ही सितारे हो गए।।6
एक मक्ता इश्क-ए-‘कौशल’ मिला।
सच मुहब्बत के जकारे हो गए।।7
कौशल