गजल बन रहो
आरजू है यही तुम गजल बन रहो।
चाँदनी रात में इक कँवल बन रहो।।
चाँदनी पूर्णिमा की गगन में खिले।
जिंदगी में सदा तुम धवल बन रहो।।
प्यार की राह भी स्वर्ग से कम नहीं।
बस लिये प्यार दिल मे अटल बन रहो।।
हार सकता नहीं आज के दौर में।
प्रीत में गर रहो तो सबल बन रहो।।
दौर-ए-इश्क में राज कुछ भी नहीं।
आइने की तरह साफ दिल बन रहो।।
गीत में है मजा, धुन असरदार तब।
साँस के तार हर एक पल बन रहो।।
मोह-माया तुम्हीं जिंदगी हो सखी।
सहचरी तुम हमारी तरल बन रहो।।
मान लेंगे सभी पूज लेंगे सभी।
मन दिलों में यहाँ गंग जल बन रहो।।
दीप जलता रहे प्यार के नाम #जय ।
हो उजाला सदा उज्ज्वल बन रहो।।
संतोष बरमैया #जय