Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Apr 2017 · 1 min read

??◆परिवर्तन की गुंज़ाइश◆??

हर तरफ़ नफ़रतों की शम्मा जल रही है।
स्वार्थे-बुद्धी इंसान की तासीर बदल रही है।।

सरेआम होने लगे हैं क़त्ले-आम मुल्क़ में।
इंसानियत डर के आग़ोश में पल रही है।।

हिलने लगी हैं मोहब्बत की दीवारें दोस्त!
ख़बर ही नहीं दिल में बेवफ़ाई चल रही है।।

झुक रही हैं बेबस निग़ाहें ज़ुल्मो-सितम से।
भावना दबी,कुचली-सी हृदय में गल रही है।।

तेरा-मेरा का तसव्वुर दिल में पनप रहा है।
इंसान की इंसानियत इंसान को छल रही है।।

अवसरवादी सोच दिल के हरकोने में बसी।
गिरगिट की तरह वक्त देख बदल रही है।।

भाईभतीजावाद का ज़हर ख़ून में घुल गया।
ईमान की तो यहाँ अर्थी-सी निकल रही हैं।।

काश!इंसान जागे उठे बेईमानी की नींद से।
विश्वास की एक सदा अब भी संभल रही है।।

बुराई की जीत सदा नहीं होती मैंने सुना है।
सच्चाई में जीतने की ताक़त अटल रही है।।

वक्त बदलेगा समझ बढ़ेगी हौंसला रख “प्रीतम”।
परिवर्तन की गुंज़ाइश हमेशा ही सफल रही है।।
***********
***********
राधेयश्याम….बंगालिया….प्रीतम….कृत

Language: Hindi
210 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from आर.एस. 'प्रीतम'
View all
You may also like:
शस्त्र संधान
शस्त्र संधान
Ravi Shukla
तुम्हें अकेले चलना होगा
तुम्हें अकेले चलना होगा
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
गहरी हो बुनियादी जिसकी
गहरी हो बुनियादी जिसकी
कवि दीपक बवेजा
जब ये मेहसूस हो, दुख समझने वाला कोई है, दुख का भर  स्वत कम ह
जब ये मेहसूस हो, दुख समझने वाला कोई है, दुख का भर स्वत कम ह
पूर्वार्थ
निरुपाय हूँ /MUSAFIR BAITHA
निरुपाय हूँ /MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
फूल अब खिलते नहीं , खुशबू का हमको पता नहीं
फूल अब खिलते नहीं , खुशबू का हमको पता नहीं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
तेरे हम है
तेरे हम है
Dinesh Kumar Gangwar
नियति को यही मंजूर था
नियति को यही मंजूर था
Harminder Kaur
I want to collaborate with my  lost pen,
I want to collaborate with my lost pen,
Sakshi Tripathi
होलिका दहन कथा
होलिका दहन कथा
विजय कुमार अग्रवाल
*सुकुं का झरना*... ( 19 of 25 )
*सुकुं का झरना*... ( 19 of 25 )
Kshma Urmila
भाव में,भाषा में थोड़ा सा चयन कर लें
भाव में,भाषा में थोड़ा सा चयन कर लें
Shweta Soni
"ज्ञान-दीप"
Dr. Kishan tandon kranti
23/178.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/178.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बारिश की बूंदे
बारिश की बूंदे
Praveen Sain
अनचाहे अपराध व प्रायश्चित
अनचाहे अपराध व प्रायश्चित
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
उतरे हैं निगाह से वे लोग भी पुराने
उतरे हैं निगाह से वे लोग भी पुराने
सिद्धार्थ गोरखपुरी
तन को सुंदर ना कर मन को सुंदर कर ले 【Bhajan】
तन को सुंदर ना कर मन को सुंदर कर ले 【Bhajan】
Khaimsingh Saini
धनतेरस और रात दिवाली🙏🎆🎇
धनतेरस और रात दिवाली🙏🎆🎇
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
#जिज्ञासा-
#जिज्ञासा-
*प्रणय प्रभात*
"सुहागन की अर्थी"
Ekta chitrangini
"" *माँ के चरणों में स्वर्ग* ""
सुनीलानंद महंत
प्रिये
प्रिये
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दोहे- शक्ति
दोहे- शक्ति
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
पंख पतंगे के मिले,
पंख पतंगे के मिले,
sushil sarna
दृष्टि
दृष्टि
Ajay Mishra
वो एक शाम
वो एक शाम
हिमांशु Kulshrestha
" एक थी बुआ भतेरी "
Dr Meenu Poonia
यह कौन सी तहजीब है, है कौन सी अदा
यह कौन सी तहजीब है, है कौन सी अदा
VINOD CHAUHAN
मकर संक्रांति
मकर संक्रांति
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
Loading...