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7 Apr 2023 · 1 min read

गंदा है क्योंकि अब धंधा है

रहम, त्याग, सेवा का
बाज़ार अब मंदा है
इस शहर से बच निकलो
ये अब नरक का पुलिंदा है.
खून की कीमत आज
पानी से फीकी है,
मेरे शहर के फरिश्तों की
शैतान से माशूकी है.
छोड़ कर सेवा भाव
स्वार्थ में अंधा है,
ये अब गंदा है
क्योंकि अब धंधा है.

@दीपक कुमार श्रीवास्तव “नील पदम्”

Language: Hindi
5 Likes · 453 Views
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