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16 May 2024 · 1 min read

जो कभी सबके बीच नहीं रहे वो समाज की बात कर रहे हैं।

जो कभी सबके बीच नहीं रहे वो समाज की बात कर रहे हैं।
जिसके भीतर जरा भी समझ नहीं वो मुझे समझा रहें हैं।

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