*”गंगा”*
“गंगा”
हिन्दू धर्म में गंगा नदी को पवित्र मानी जाती है देवी माँ के रूप में पूज्यनीय है।घर में प्रतिदिन पूजन में भी उपयोग किया जाता है गंगा नदी के प्रति अटूट आस्था व विश्वास है।गंगाजल सालों तक रखने के बाद भी खराब नही होता है ऐसी मान्यता है कि गंगा नदी में स्नान करने से डुबकी लगाने से पापों का प्रायश्चित हो जाता है रोग कष्ट दूर हो जाते हैं।उपचार हेतू भी गंगाजल का प्रयोग किया जाता है जब इंसान मृत्यु के निकट शैया पर लेटा रहता है तो दो बूंद गंगाजल तुलसी दल के साथ ही पिलाया जाता है।
युगों युगों तक पापों से मुक्ति दिलाने के लिए ही गंगा भागीरथी धरती पर अवतरित हुई है मृत्यु के पश्चात शरीर को गंगा नदी में ही विसर्जित कर दिया जाता है कुछ लोग बिना दाह संस्कार किये ही सीधे गंगा नदी में ही प्रवाहित कर देते हैं जिससे गंगा मलीन होते जाती है।
गंगाजल हरिद्वार तक शुद्ध रहता है फिर बाद में शहरों के प्रोधोगिकी क्षेत्र से गंदे पानी का बहाव गंगा नदी में ही मिलने लगता है और प्रदूषण फैलने लगता है।
वैसे तो गंगा नदी को शुद्ध करने के लिए सरकार ने परियोजना बनाई गई है लेकिन कुछ लोग ध्यान ही नही देते हैं इन्ही कारणों से गंगा नदी प्रदूषित होती जा रही है।
पहले सालों तक गंगाजल खराब नही होते थे लेकिन अब कुछ ही महीनों में जल में फंगस लगने लगते हैं।सबसे पवित्र जल गंगाजल ही होता है अमृत तुल्य माना जाता है लेकिन अब कुछ भी शुद्ध नही है ।गंगाजल लाने के कुछ दिनों बाद ही मटमैला सा नजर आने लगता है जो जल सालों तक खराब नही होता था वह कुछ ही दिनों में बॉटल में नीचे गंदगी जमा हो जाती है।
गंगाजल को शुद्ध पवित्र रखने का कार्य हम सभी नागरिकों को है आखिर हम सभी देशवासियों का कर्त्तव्य है कि जब कभी गंगा में स्नान करने जाय कुछ क्रियाकर्म करने जाये गंगा नदी के दर्शन करने जायें तो आसपास के वातावरणों को स्वच्छ रखा जाय ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए ऐतिहासिक दृष्टि से गंगा नदी की गाथाओं से अवगत कराया जा सके।
ये नहीं सिर्फ गंगा नदी नाम की ही रह जाये हम सभी नागरिकों का कर्त्तव्य है कि गंगा नदी को स्वच्छता अभियान चलाये जाने में सहयोग प्रदान करें ।
हम जिस देश में रहते हैं वहां के नदियों तालाबों झरनों को साफ रखें जहां भी उस स्थान में जायें तो वहां के वातावरणों को स्वच्छ रखने का संकल्प लें।
जय माँ गंगे हर हर गंगे 🙏
शशिकला व्यास ✍