गंगा दशहरा मां गंगा का प़काट्य दिवस
सर्व तीर्थमयी पावन गंगा, तीर्थों में मूर्धन्या गंगा
ब़म्हा विष्णु महेश हैं गंगा,विधि हरि हरमयी हैं गंगा
भारत का स्वाभिमान हैं गंगा, भारतीयता की प्राण हैं गंगा संस्कृति की पहचान हैं गंगा, भारत भक्तों की मान हैं गंगा
ब़म्हद़वा भगवान हैं गंगा, धरती पर कल्याण हैं गंगा
सकल ज्ञान और ध्यान हैं गंगा, अमरत्व और अमृत पान हैं गंगा
निर्मल तन मन करतीं गंगा,ताप पाप सब हरतीं गंगा
भक्ति ज्ञान और कर्मयोग की, अविरल बहतीं धार हैं गंगा
दशों दिशा महकातीं गंगा, गीत प्रेम के गातीं गंगा
गो मुख से गंगा सागर तक,जनमन की प्यास बुझातीं गंगा
सकल लोक जननी मां गंगा, मुक्ति मार्ग दिलातीं गंगा
ज्ञान और कर्मेंद्रियां निर्मल कर,सतपथ मार्ग चलातीं गंगा
धन धान्य वैभव जग मंगल, खेतों की हरियाली गंगा
गुण गंगा के कहे न जांए, जीवंत गुणों की खान हैं गंगा
तुमको पाकर कृतकृत्य हुए मां,सकल लोक जग पावनि गंगा