खड़े सभी इक साथ
झुनझुनवाला सेठ जी, चले गए परदेश
ख़ाली हाथ गए उधर, चिट्ठी ना सन्देश
चिट्ठी ना सन्देश, साथ ना जाये पैसा
राजा हो या रंक, अंत सबका इक जैसा
महावीर कविराय, वहाँ ना गड़बड़झाला
खड़े सभी इक साथ, भिखारी झुनझुनवाला
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झुनझुनवाला सेठ जी, चले गए परदेश
ख़ाली हाथ गए उधर, चिट्ठी ना सन्देश
चिट्ठी ना सन्देश, साथ ना जाये पैसा
राजा हो या रंक, अंत सबका इक जैसा
महावीर कविराय, वहाँ ना गड़बड़झाला
खड़े सभी इक साथ, भिखारी झुनझुनवाला
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