ख्वाबों को तेरी बाहों का सिरहाना चाहिए
शफीना ऐ जिंदगी भवर में है, किनारा चाहिए
दौलत ऐ जहान नही , रहमते परवर चाहिए
बहुत तलब है , फकत एक सुकूने नींद की
मेरे ख्वाबों को तेरी बाहों का सिरहाना चाहिए
प्रज्ञा गोयल ©®
शफीना ऐ जिंदगी भवर में है, किनारा चाहिए
दौलत ऐ जहान नही , रहमते परवर चाहिए
बहुत तलब है , फकत एक सुकूने नींद की
मेरे ख्वाबों को तेरी बाहों का सिरहाना चाहिए
प्रज्ञा गोयल ©®