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23 Apr 2020 · 1 min read

ख्वाबों की तासीर

ना हो तुम कोई हूर या परी, मुझे मालूम है.
ना ही तुम्हारी गुंथी हुई चोटी से शोख ज़ुल्फे उड़ा करती हैं.
तुम्हारी आवाज़ मे वो खनक भी नही..
कि मैं लैला और शीरी का तस्व्वुर करूं….
मगर मै बता दूं…………
मेरे सपनो की तस्वीर में..
इन सब बातो की कोई जरूरत भी नही….
तुम जैसी हो उसी तरह का एक चेहरा चाहिये….
मुझे अपने ख्वाबों की तासीर में…..

दीप…

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