ख्याल नहीं थे उम्दा हमारे, इसलिए हालत ऐसी हुई
ख्याल नहीं थे उम्दा हमारे, इसलिए हालत ऐसी हुई।
अब तक हैं हम यहाँ अकेले, शादी हमारी नहीं हुई।।
ख्याल नहीं थे उम्दा हमारे———————–।।
दीवाने थे हम मुखड़ों के, शौकीन हम थे हुस्नों के।
बदनाम थे महफ़िलों से, शादी हमारी नहीं हुई।।
ख्याल नहीं थे उम्दा हमारे———————–।।
जुनून था हमको आसमां का, पंख बन्धे थे पैरों में।
अपनी जमीं से प्यार नहीं था, शादी हमारी नहीं हुई।।
ख्याल नहीं थे उम्दा हमारे———————–।।
ख्वाब हमारे महलों के थे, रिश्तें हमारे दौलत से थे।
रिश्तों की कभी परवाह नहीं की, शादी हमारी नहीं हुई।।
ख्याल नहीं थे उम्दा हमारे———————–।।
मानी नहीं हमने बात किसी की, कहते हैं जी.आज़ाद खुद को।
बीबी की कभी चाहत नहीं की, शादी हमारी नहीं हुई।।
ख्याल नहीं थे उम्दा हमारे———————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)