ख्याल (कविता)
ख्याल*
रह गया जहन में सवाल मेरा
क्या तुम्हें आया कभी ख्याल मेरा
आज ना रहा दिल मे चैन मेरे
कैसा दिल में बचा बवाल मेरे
तेरा जाना तो तय था
फिर क्यूँ है मुझे मलाल तेरा
ना कोई दवा है ना कोई दुआ है
ज़ख़्म जो है वो है कमाल मेरा
ना मिलेगा कभी मुझे सकूं अब
जब से पता चला हैं
ना रहा तुझे कभी ख्याल मेरा