खूबसूरत बचपन
खूबसूरत बचपन
कागज़ की कश्ती थी
गलियों मे ही समंदर का किनारा था
कुछ इतना खूबसूरत बचपन हमारा था ।
मिट्टी के बर्तन थे
मिट्टी का आशियाना था
कुछ इतना खूबसूरत बचपन हमारा था ।
महक चूल्हे की थी
आंगन मे चिड़ियों का घराना था
कुछ इतना खूबसूरत बचपन हमारा था ।
मस्ती के दिन थे
किताबों मे खज़ाना था
कुछ इतना खूबसूरत बचपन हमारा था ।
बेफिक्री का जीवन था
मेले तमाशों का ज़माना था
कुछ इतना खूबसूरत बचपन हमारा था ।
मा की आँचल था
पिता का कांधा था
कुछ इतना खूबसूरत बचपन हमारा था ।
– रुपाली भारद्वाज