खूबसूरती से
बड़ी ही खूबसूरती से बात करते हैं
प्यार करने वाले चुपके से आघात करते हैं
रिश्तों में बंधना, बंधन में रहना
जो कहा मानना, जो सुना करना
जो अपनी करो तो सवालात करते हैं
प्यार करने वाले चुपके से आघात करते हैं
तिल तिल करके हस्ती मिटायी जाती है
कोशिश करके भी सच्चाई नज़र नहीं आती
चीरते सन्नाटे में टूटने की आवाज़ सुनते हैं
प्यार करने वाले चुपके से आघात करते हैं
पहली बार जब उठा हाथ लगा हुआ अकस्मात
फिर बढ़ा हिंसा का दौर, फिर हुई रोज़ की बात
मेरी गलती थी शायद, सोच बात समाप्त करती हूॅ
प्यार करने वाले चुपके से आघात करते हैं
प्यार करने वाले ही तो मारते हैं
और कैसे हक जता सकते है
तन पर बने घाव ही तो मुहब्बत के निशान होते है
प्यार करने वाले चुपके से आघात करते हैं
हमसे यूं प्यार जताया न गया
शायद हमें प्यार करना न आया
बोला जो किसी को तो लाखों सवाल करते हैं
प्यार करने वाले चुपके से आघात करते हैं
कभी लगता है कि सब पीछे छोङ दूॅ
जो बाॅधते है, वो बन्धन तोङ दूॅ
उङ जाऊं पंछी की तरह
न प्यार चाहिये ना आसरा
क्यों जियूं मै बंदी की तरह
जाऊं वहाॅ हम जैसे सम्मान से रहते है
समझूं इस फरेब को जो लोग देते है
प्यार करने वाले कभी आघात नहीं करते हैं
चित्रा बिष्ट
(मौलिक रचना)