खुशी
मुट्ठी भर खु़शी
उधार देकर देखिए,
असीम सुकून मिलेगा।
पल-पल
विषण्णता समुपस्थित है।
ऊहापोह सनी
आबोहवा,
कब,
किसे,
रास आती है,
घुटन
और
सिहरन
बढ़ाती है।
आनंद के
चंद पल,
रग-रग में
रोमांच
भरते हैं
पुलकित करते हैं।
तज कर
तनातनी
बस इतना कीजिए,
सबको
खुशी दीजिए,
खुशी लीजिए।