Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 May 2024 · 1 min read

जो मिला ही नहीं

अच्छा है, नसीब में क्या है वह पता ही नहीं
पता हो, तो भी,जो होना है, वह टला ही नहीं

मिलना तो ख़ुद से था, जो कभी मिला ही नहीं
ख़ुद को देख पाता ऐसा आईना बना ही नहीं

ढूँढता है शहर में कोई,नया मकान अक्सर
कोई मुस्तकिल ठिकाना यहाँ हुआ ही नहीं

मौसम यहाँ इंसा की नीयत सा बदलता है
आईने में, कोई चेहरा देर तक रुका ही नहीं

एक बार ही मिला था अपनी रूह से, मैं
किसी ने कुछ कहा , फिर बुरा लगा ही नहीं

डा राजीव “सागरी”

23 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
********* हो गया चाँद बासी ********
********* हो गया चाँद बासी ********
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Ghazal
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
मान तुम प्रतिमान तुम
मान तुम प्रतिमान तुम
Suryakant Dwivedi
मौज के दोराहे छोड़ गए,
मौज के दोराहे छोड़ गए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
सत्य कुमार प्रेमी
चंडीगढ़ का रॉक गार्डेन
चंडीगढ़ का रॉक गार्डेन
Satish Srijan
मूक संवेदना🙏
मूक संवेदना🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
"छलनी"
Dr. Kishan tandon kranti
आदित्य(सूरज)!
आदित्य(सूरज)!
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
ऐसी गुस्ताखी भरी नजर से पता नहीं आपने कितनों के दिलों का कत्
ऐसी गुस्ताखी भरी नजर से पता नहीं आपने कितनों के दिलों का कत्
Sukoon
हौंसले को समेट कर मेघ बन
हौंसले को समेट कर मेघ बन
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
"चांद पे तिरंगा"
राकेश चौरसिया
बुद्ध की राह में चलने लगे ।
बुद्ध की राह में चलने लगे ।
Buddha Prakash
■ देश भर के जनाक्रोश को शब्द देने का प्रयास।
■ देश भर के जनाक्रोश को शब्द देने का प्रयास।
*प्रणय प्रभात*
या देवी सर्वभूतेषु विद्यारुपेण संस्थिता
या देवी सर्वभूतेषु विद्यारुपेण संस्थिता
Sandeep Kumar
यूपी में कुछ पहले और दूसरे चरण में संतरो की हालात ओर खराब हो
यूपी में कुछ पहले और दूसरे चरण में संतरो की हालात ओर खराब हो
शेखर सिंह
मेरी गुड़िया (संस्मरण)
मेरी गुड़िया (संस्मरण)
Kanchan Khanna
अंधेरों में अंधकार से ही रहा वास्ता...
अंधेरों में अंधकार से ही रहा वास्ता...
कवि दीपक बवेजा
शीर्षक – रेल्वे फाटक
शीर्षक – रेल्वे फाटक
Sonam Puneet Dubey
गांव
गांव
Bodhisatva kastooriya
वफ़ा और बेवफाई
वफ़ा और बेवफाई
हिमांशु Kulshrestha
Milo kbhi fursat se,
Milo kbhi fursat se,
Sakshi Tripathi
आए हैं रामजी
आए हैं रामजी
SURYA PRAKASH SHARMA
जिसकी शाख़ों पर रहे पत्ते नहीं..
जिसकी शाख़ों पर रहे पत्ते नहीं..
Shweta Soni
यही सोचकर इतनी मैने जिन्दगी बिता दी।
यही सोचकर इतनी मैने जिन्दगी बिता दी।
Taj Mohammad
2462.पूर्णिका
2462.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
बाल कविता: मोर
बाल कविता: मोर
Rajesh Kumar Arjun
सरकारी नौकरी
सरकारी नौकरी
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
क्या पता...... ?
क्या पता...... ?
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
हमारी संस्कृति में दशरथ तभी बूढ़े हो जाते हैं जब राम योग्य ह
हमारी संस्कृति में दशरथ तभी बूढ़े हो जाते हैं जब राम योग्य ह
Sanjay ' शून्य'
Loading...