खुशियो का समंदर खो गया
खुशियों का समंदर खो गया
मेरी खुशियों का समंदर जाने कहां खो गया,।
मैं रही इन्तेजार में उसके खड़ी जाने कहां खो गया।
ढूंढ रही मैं उसे इधर उधर जाने क्यूँ रूठ
मुझसे गया।
आस लगा बैठी हूँ जाने कितनी दूर निकल गया।
भरी महफ़िल में तन्हा कर परदेशी छोड़ गया
जाते जाते मेरा अश्कों से रिश्ता जोड़ गया।
बीच समंदर भवरों में मेरी जीवन मझदार फंसा गया।
घुटन भरी जिंदगी जीने की बददुआ दे गया
नही आयेगा लौट फिर कभी मेरी जिंदगी में,,
ताउम्र भर का इन्तेजार तोफे में दे गया।
रह रह के जहन में उमड़ आती यादों की लहरें,,
जाने कैसे पल भर में खुशियो का मेरे चमन उजड़ गया।
कबतलक राह देखु में उस बेवफा महबूब की,,
मेरे दिल राहों से वो अपने बीते लम्हे मिटा गया।