खुशियों को जला दिया हमने
जिंदगी के हर तजुर्बें को भुला दिया हमनें
ग़म के’ हर इक हर्फ़ को खुद ही मिटा दिया हमनें
माँगने मुझसे उजाला तीरगी जो’ आयी थी
शौक से तब अपनी’ खुशियों को जला दिया हमनें
©
शरद कश्यप
जिंदगी के हर तजुर्बें को भुला दिया हमनें
ग़म के’ हर इक हर्फ़ को खुद ही मिटा दिया हमनें
माँगने मुझसे उजाला तीरगी जो’ आयी थी
शौक से तब अपनी’ खुशियों को जला दिया हमनें
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शरद कश्यप