खुशियाँ
विषय:खुशियाँ
आओ मिलकर दिवाली की सजावट की जाए
सड़क पर बैठे दिए वाले के दिये लेकर खुशियां सजाए।
चलो आओ मिलकर दीप जलाते है
भाईचारे ओर मोहव्बत को बढाते हैं।
कुछ ऐसा मिल काम कर जाए
कि उस गरीब के घर सफाई हो और दीवाली मन जाए।
चलो मिलकर खुशियों से आंगन महकाते हैं
दिल से भेदभाव की दीवार गिराते हैं।
हटा भेद का घूंघट प्रकाश फैलाते है
धर्म की दीवार को भूलकर दीप जलाते है।
करें गरीब का भी घर रोशन यही वादा निभाते हैं
सड़क किनारे गरीब से ही दिया आज खरीदते हैं।
चलो मिलकर किसी गरीब के घर मे आज
दियो की रोशनी की खुशबू फैलाते है।
किसी बच्चे के चेहरे पर हम आज दिवाली में
बाजार सी रोनक सी क्या ला सकते है।
एक खुशी का दिया हाथ लेकर जाकर
उसकी झोपड़ी को भी प्रकाशित करते हैं।
किसी भूखे को आज दे रोटी बस यही
उनके लिए प्रकाशोत्सव की रोनक हैं।
बाजारों की रौनक भी तभी तुमको तो भायेगी
तुम्हारे आसपास कोई घर अंधेरा न रह जाये।
मिलाकर हाथ सबके साथ, करे आज ये वादा
दिया उससे ही खरीदेंगे जो बैठा सड़क किनारे ही