खुशनसीब हो जाता
2122 1212 22
कितना मैं खुशनसीब हो जाता
गर तू मेरे करीब हो जाता
जो परिंदा मिला है सनम से यूँ।
काश मैं भी मुनीब हो जाता
तुझमें बस मैं दिखाई यूँ दूँ
इतना मेरे करीब हो जाता
गर न होते शहीद सरहद पर।
मुल्क कितना गरीब हो जाता
टूटती ही न डोर सांसों की
गर वो मेरा तबीब हो जाता
जो नहीं हमसफर मिला मुझको
कोई तो फिर रकीब हो जाता
आरती लोहनी