खुद को लुटाना पडा
वक्त निकलने पर पिछताना पडा
ना बचा कुछ हमे मुस्कुराना पडा
निकले वो मुहोबत के माहिर बडे
फिर झूठा सही हमे ही शरमाना पडा
गजब ढाते है वो रूठ जब जाते है वो
मजबूरी ये कि हमे हार जाना पडा
इश्क़ मे उनके खुदको लुटाना पडा
प्यार मे यह चलन भी निभाना पड़ा
रूठे थे हम भी उनसे बहुत ही मगर
इन्तजार कर खुद ही मान जाना पड़ा
उनको समझा के देखा बहुत हमने पर
उनके हिसाब से हमे डल जाना पड़ा
दर्दे बाजार मे निकला जब भी मै
दूसरो को देख खुद को भुलाना पडा
वक्त भी था नही ओर गवाया बहुत
जरूरत मे खुद को दौडाना पड़ा