खिलौने मेरे बच्चे के
खुश रहता है पाकर उसे
खेलता है दिनभर उससे
जब भी देखे नया खिलौना
खेलना चाहता है उससे ।।
खिलौने की कीमत का नहीं
चाहत का महत्व उसके लिए
पसंद आए तो मामूली सा खिलौना
चांद तारो से बढ़कर है उसके लिए ।।
जब भी नया खिलौना आता है
सारा ध्यान उस पर चला जाता है
भूल जाते है कुछ पल के लिए सबकुछ
सपने में भी वही खिलौना नज़र आता है ।।
टूट जाए खिलौना तो बहुत रोता है
नए खिलौने के वादे पर चुप हो जाता है
दो पल में भूल जाता है अपना दुख
दूसरे खिलौनों से खेलने में लग जाता है ।।
कितना फर्क है एक बच्चे में
और पढ़े लिखे इन्सान में
एक बच्चा खिलौनों को भी
सच्चे दिल से प्यार करता है
और इन्सान दूसरे इन्सान को भी
खिलौना समझ कर प्यार करता है।।