“खिलाफत”
“खिलाफत”
यहाँ पर सवाल नहीं है
किसी सरकार के,
सच तो यह कि कौन नहीं
खिलाफ़ सरकार के,
मगर कितने लोग
खोल पाते अपना मुँह
खिलाफ़ सरदार के।
“खिलाफत”
यहाँ पर सवाल नहीं है
किसी सरकार के,
सच तो यह कि कौन नहीं
खिलाफ़ सरकार के,
मगर कितने लोग
खोल पाते अपना मुँह
खिलाफ़ सरदार के।