खास
खास
अबोध बालक सा मेरा मन
किलकारियाँ भरता हुआ
जिंदगी के सफर में
निर् उद्देश्य चला जा रहा था
ना जाने कब और कैसे
मेरे जीवन की बनकर आस
तुम मेरे दिल में आन समाए
और बन गए मेरे दिल के खास।
संजय श्रीवास्तव
बालाघाट (मध्य प्रदेश)
खास
अबोध बालक सा मेरा मन
किलकारियाँ भरता हुआ
जिंदगी के सफर में
निर् उद्देश्य चला जा रहा था
ना जाने कब और कैसे
मेरे जीवन की बनकर आस
तुम मेरे दिल में आन समाए
और बन गए मेरे दिल के खास।
संजय श्रीवास्तव
बालाघाट (मध्य प्रदेश)