‘खाली समय’
खाली बोतल जान समय को,
सुन पगले तू ठुकरा मत देना।
किस्मत वालों को ये मिलता,
मन के भीतर तुम बैठा लेना।
दौर है मुश्किल का वर्तमान का,
खली समय कहाँ मिल पाता है।
दो वक्त की रोटी को अपना तो,
समय सारा ही कट जाता है।
मिले समय जो खाली तुमको,
कर देना उसको अपने नाम।
करो केवल तुम उस सुवक्त में,
मन भाता कुछ प्यारा सा काम।
गीत लिखो या संगीत सुनो तुम,
स्वाध्याय योग ,चाहे खेलो खेल।
तुम नृत्य करो चाहे ध्यान करो,
या करलो प्रिय मित्रों से मेल।
अंतरात्मा में भी झांको अपनी,
खुद की भी तो पहचान करो।
मानव जन्म दिया है जिसने,
उस जीवन दाता का ध्यान धरो।
वन तड़ाग खग मेघ निहार लो,
प्रकृति संग भी वार्तालाप करो।
बहुत दिया है प्रकृति ने हमको,
कुछ हित उसके उपकार करो।
स्वरचित एवं मौलिक
गोदाम्बरी नेगी
(हरिद्वार उत्तराखंड)