खाली जेबें भर रहे हैं
नित नए सम्मान लेकर
नित नए उन्वान लेकर
और हम क्या कर रहे हैं
खाली जेबें भर रहे हैं ।
तुम भी ज़रा उत्पात कर लो
मन से मन की बात कर लोन
खुद को थोड़ा सा पटा लो
लोगों को थोड़ा सता लो
हम भी यही सब कर रहे हैं
खाली जेबें भर रहे हैं ।
हाथ जोड़ खीसें निपोरे
श्रीजनों पर डाल डोरे
तुम भी तलुए चाटते चलो
जन को जन से बांटते चलो
हम भी यही सब कर रहे हैं
खाली जेबें भर रहे हैं ।
गाली की बौछार सह लो
जीत सह लो हार सह लो
बेशरम होकर खिलो तुम
स्वार्थी होकर मिलो तुम
हम भी यही सब कर रहे हैं
खाली जेबें भर रहे हैं ।
भूख हमारी मरती नहीं है
जेब हमारी भरती नहीं है
ज़मीर को अनसुना करो तुम
मन की ही सुना करो तुम
हम भी यही सब कर रहे हैं
खाली जेबें भर रहे हैं ।
-अशोक सोनी