खामोश मोहब्बत क्या कहना
ये हया ये पलकें झुंकी हुई
मासूम निगाहें क्या कहना
दिल की लब पे लाने से गुरेजा
खामोश मोहब्बत क्या कहना
ये कैसा है दीवानापन
हर शय मे वो आता है नजर
साँसों मे वो ही समाया है
दिल-औ-जाँ मे हुकूमत क्या कहना
हर नज्म उन्हीं से होती है
मेरे गीतों मे वो बसती है
इक इक शेर उन्हीं का है
गजलों मे शरारत क्या कहना
यादों में वो बातों में वो
ख्वाबों में वो खयालों मे वो
पल पल उन्हीं मे खोया है
अब और इबादत क्या करना… M.T.Ayen