ख़्वाब या हकीक़त
कुछ अनुभूति है
इन ख़्वाबों की दुनिया में
कुछ हकीकत का फसाना है
बिसरी यादें पलकों पर है
और ना भूलने का बहाना है।
पलकें भारी सी है,कहीं
रातों के नज़ारे है,
कुछ बिम्ब धुंधला सा लगता
कही अंधकार सा काला है।
कभी चंचल मन में वेग नहीं
आक्रोश बना आवेग रहा
कहीं क्रूर वेदना भरा हुआ
ये हृदय बना कभी मोम सा।