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6 May 2024 · 1 min read

ख़ुद के प्रति कुछ कर्तव्य होने चाहिए

मान सम्मान खुद के प्रति
प्रबल मजबूत होना चाहिए

अभिमान नहीं खुद पर
लेकिन स्वाभिमान होना चाहिए

अपमान किसी का करना नहीं चाहिए
और अपमान सहना भी नहीं चाहिए

ज़िंदगी को बेहतर कल मिल सके
प्रयास आज़ ही ख़ुद को करना चाहिए

भेद नहीं है स्त्री और पुरुष में बस
अपनी ज़िम्मेदारी का बोध होना चाहिए

शब्दों की शैली का ध्यान रखना चाहिए
बोलते हुए विष नहीं अमृत निकलना चाहिए

चार दिन की ज़िंदगी का क्या ही घमंड करना
सबके प्रति करुणा और प्रेम होना चाहिए

हर मुश्किल समय से लड़ना ख़ुद को आना चाहिए
जीवन की शुरूआत जहां से भी हो लेकिन होनी चाहिए

_सोनम पुनीत दुबे

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