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11 Nov 2020 · 1 min read

खरीददारी को चले

विनोद सिल्ला की कुंडलियां

खरीददारी को चले, थैला भर के नोट|
बढ़े दाम हर चीज के, जेब में लगे खोट||
जेब में लगे खोट, आमदनी लड़खड़ाए|
अर्थतंत्र बेहोश, संभल नहीं जो पाए||
कह सिल्ला कविराय, बने कैसे तरकारी|
बढ़े बहुत हैं दाम, न होए खरीददारी||

-विनोद सिल्ला©

1 Like · 383 Views
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