खबर
कुछ अखवारों के पन्नो को
सहेजकर रख लेता हूँ
समेट कर रख लेता हूँ
कुछ किस्से होते हैं इनमें
जो खींच लेते हैं अपनी ओर
दे जाते हैं एक तजुर्बा
ऐसे नहीं जीना,ऐसे जीना
पर हम पढ़के छोड़ जाते हैं
और एक खबर खबर ही रह जाती है।।
।।पंकज ।।।