“क्रोध”
“क्रोध”
क्रोध हमेशा बुरा नहीं होता, लेकिन क्रोध ऐसा हो कि शान्तिप्रिय व्यक्ति भी स्वीकार कर सकें कि वह क्रोध वाज़िब था। अर्थात क्रोध सृष्टा हो, ध्वंसकर्ता ना हों।
“क्रोध”
क्रोध हमेशा बुरा नहीं होता, लेकिन क्रोध ऐसा हो कि शान्तिप्रिय व्यक्ति भी स्वीकार कर सकें कि वह क्रोध वाज़िब था। अर्थात क्रोध सृष्टा हो, ध्वंसकर्ता ना हों।