Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jan 2024 · 1 min read

“क्रान्ति”

“क्रान्ति”
क्रान्ति न जनमती है न मरती है
हृदय में छुपी रहती है,
अत्याचार की सीमाएँ लांघने पर
बन्दूक की नली से निकलती है।
ज्वाला बनकर जलती है
खून में पकती-उबलती है,
जरा गौर से देखना
वो मजदूरों के पसीने में पलती है।
-डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति

4 Likes · 3 Comments · 275 Views
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all

You may also like these posts

बड़ी बहु को नौकर छोटी की प्रीत से
बड़ी बहु को नौकर छोटी की प्रीत से
नूरफातिमा खातून नूरी
बाल कविता: चूहे की शादी
बाल कविता: चूहे की शादी
Rajesh Kumar Arjun
झूठो के बीच में मैं सच बोल बैठा
झूठो के बीच में मैं सच बोल बैठा
Ranjeet kumar patre
अन्तर्मन में अंत का,
अन्तर्मन में अंत का,
sushil sarna
जब किसी कार्य के लिए कदम आगे बढ़ाने से पूर्व ही आप अपने पक्ष
जब किसी कार्य के लिए कदम आगे बढ़ाने से पूर्व ही आप अपने पक्ष
Paras Nath Jha
"करने वाला था नहीं, कोई दुआ-सलाम।
*प्रणय*
गणतंत्र के मूल मंत्र की,हम अकसर अनदेखी करते हैं।
गणतंत्र के मूल मंत्र की,हम अकसर अनदेखी करते हैं।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
हाँ, क्या नहीं किया इसके लिए मैंने
हाँ, क्या नहीं किया इसके लिए मैंने
gurudeenverma198
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Everything happens for a reason. There are no coincidences.
Everything happens for a reason. There are no coincidences.
पूर्वार्थ
हरितालिका तीज
हरितालिका तीज
Mukesh Kumar Sonkar
आधुनिकता
आधुनिकता
pradeep nagarwal
होली के मजे अब कुछ खास नही
होली के मजे अब कुछ खास नही
Rituraj shivem verma
लोककवि रामचरन गुप्त एक देशभक्त कवि - डॉ. रवीन्द्र भ्रमर
लोककवि रामचरन गुप्त एक देशभक्त कवि - डॉ. रवीन्द्र भ्रमर
कवि रमेशराज
सुंदर सुंदर कह रहे, सभी यहां पर लोग
सुंदर सुंदर कह रहे, सभी यहां पर लोग
Suryakant Dwivedi
ज़रूरतों  के  हैं  बस तकाज़े,
ज़रूरतों के हैं बस तकाज़े,
Dr fauzia Naseem shad
मनुष्य एक बहुफलीय वृक्ष है, जैसे आप आम, अमरूद पहचानते और बुल
मनुष्य एक बहुफलीय वृक्ष है, जैसे आप आम, अमरूद पहचानते और बुल
Sanjay ' शून्य'
विरोध
विरोध
Dr.Pratibha Prakash
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Neha
यह कैसा पागलपन?
यह कैसा पागलपन?
Dr. Kishan tandon kranti
राम तुम भी आओ न
राम तुम भी आओ न
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
Just be like a moon.
Just be like a moon.
Satees Gond
सामाजिक रिवाज
सामाजिक रिवाज
अनिल "आदर्श"
समय को भी तलाश है ।
समय को भी तलाश है ।
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
*समय होता कभी अच्छा, कभी होता बुरा भी है  (हिंदी गजल)*
*समय होता कभी अच्छा, कभी होता बुरा भी है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
*दिल के रोग की दवा क्या है*
*दिल के रोग की दवा क्या है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मेरा नहीं है
मेरा नहीं है
Minal Aggarwal
एक नया उद्घोष
एक नया उद्घोष
इंजी. संजय श्रीवास्तव
मृत्यु शैय्या
मृत्यु शैय्या
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
सीरत अच्छी या सूरत अच्छी
सीरत अच्छी या सूरत अच्छी
MEENU SHARMA
Loading...