क्यों बिन तेरे जिंदगी सुनी सी है/मंदीप
क्यों बिन तुम्हारे जिंदगी सुनी सी है/मंदीप
क्यों बिन तुम्हारे जिंदगी सुनी सी है,
क्यों आज आँखो में नमी सी है।
तरस गए दिलबर देखने को तुम को,
क्यों इंतजार में आँखे गड़ी सी है।
सुलजा दो बिखरे से मेरे अरमानो को,
क्यों इंतजार में जुल्फे बिखरी सी है।
याद जाती नही तुम्हारी दिल से,
क्यों आज दिल में आग लगी सी है।
कुछ नही बिन सनम ये मेरी जिंदगी,
क्यों आज किसी की कमी सी है।
उठाओगे सनम तुम मुझ को अपनी बाहों में,
क्यों इसी इंतजार में बाहें मेरी खुली सी है।
करोगे प्यार हम को “मंदीप” तुम,
क्यों आज इसी इंतजार में आँखे मेरी खूली सी है।
मंदीपसाई