“क्यों नहीं लिख रहे”
“क्यों नहीं लिख रहे”
हमें पता नहीं
क्यों नहीं लिख रहे कवि
हादसों की, मृत्यु की
हिंसा की घटनाओं पर,
समाज की ढेरों कुरीतियों
सैकड़ों वर्जनाओं पर?
“क्यों नहीं लिख रहे”
हमें पता नहीं
क्यों नहीं लिख रहे कवि
हादसों की, मृत्यु की
हिंसा की घटनाओं पर,
समाज की ढेरों कुरीतियों
सैकड़ों वर्जनाओं पर?