क्यों अधूरी ये कहानी रह गई!
क्यों अधूरी ये कहानी रह गई।
क्यों अधूरी जिंदगानी रह गई।
क्यों खफा हो ये बता दो तुम मुझे,
बिच हमारे दरमियानी रह गई।
चाँद- तारों में दिखे सूरत सनम,
ये मुहब्बत आसमानी रह गई।
तुम गुनाहों को छुपा सकते नहीं
आँख में गर सिर्फ पानी रह गई।
इश्क़ का इज़हार मैंने कर दिया,
मेहंदी बस अब लगानी रह गई।
लोग जो बदनाम करते है यहाँ,
प्यार उनसे भी लुटानी रह गई।
गौर से सुन दर्द की आहें अभी,
जख्म में मरहम लगानी रह गई।
खो न देना इन खतों को अब शुभम्
आखिरी ये ही निशानी रह गई।