क्यूॅं रोये ऑंखें मेरी
क्यूॅं रोये ऑंखें मेरी और क्यूॅं धोए भला वो खुद को
इसकी तो बस इतनी सी तलब देखे ये खुश उसको
तारों भरी रात में चाॅंद संध्या के साथ बडा खुशबाश था
छाया दूर से तकती फिर हॅंस कर अपना कहती उसको
~ सिद्धार्थ
क्यूॅं रोये ऑंखें मेरी और क्यूॅं धोए भला वो खुद को
इसकी तो बस इतनी सी तलब देखे ये खुश उसको
तारों भरी रात में चाॅंद संध्या के साथ बडा खुशबाश था
छाया दूर से तकती फिर हॅंस कर अपना कहती उसको
~ सिद्धार्थ