क्यूं उदास है
खोजता रहा ताउम्र वो किसे ,
किस सुकून की हरसू तलाश है ।
इधर – उधर तलाशा किया जिसे ,
वो ग़म दिल के यूं आसपास है ।
क्यूं तन्हाई का आलम है हर तरफ ,
क्यूं जिन्दगी की फिर शामें उदास है ।
अशोक सोनी
भिलाई ।
खोजता रहा ताउम्र वो किसे ,
किस सुकून की हरसू तलाश है ।
इधर – उधर तलाशा किया जिसे ,
वो ग़म दिल के यूं आसपास है ।
क्यूं तन्हाई का आलम है हर तरफ ,
क्यूं जिन्दगी की फिर शामें उदास है ।
अशोक सोनी
भिलाई ।