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20 Aug 2016 · 1 min read

“क्या हुआ , क्या हो रहा है और क्या होगा “

वैज्ञानिक रस में डूब कर
आधुनिक उन्नति खूब कर
वह (प्रकृति) का शासक बन बैठा
भौतिक सुखों की होड़ में
वाहनों की दौड़ में
वह पर्यावरण को दूषित कर बैठा
ऑक्सीजन के मारे
ये लोग अंधियारे
कैसे इससे बच सकते हैं
आपके सहयोग से
सरकार के सन्जोग से
इस समस्या से काफी हद तक बच सकते है
मोबाइल की क्रांति से
स्टाइल की भ्रान्ति से
हो सके तो इस पर काबू पाइए
संस्कारो की आवाज से
आधुनिकता के ताज से
सन्तुलन बना के जीते जाइए
कर्म की इस धरती पर
दुनिया ये टलती पर
बाद में पछताएगी
आने वाली पीढ़ी
आज के आलसियों को
दुत्कारती पायेगी
कर्म में मस्त रहना
निंदा से बच के रहना
सच्चे कर्मशील की पहचान होगी
सदुपयोग करके वक्त का
पाबन्द हो हर वक्त का
भविष्य में उसी हुनरमन्द की शान होगी
अभी चली है कलम कुछ दूर
बन रहा धीरे से सरूर
बहुत दूर तक जाना है
न तलवार के वारों से
केवल शब्दों के हथियारों से
विचारों को जन जन तक पहुँचाना है ।
आपके लाइक एवम् कमेंट और आलोचना के इंतज़ार में आपका
© के.एस. मलिक 10.03.2016

Language: Hindi
614 Views
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