क्या मुझे भी अधिकार है
हाँ ! मै तुमसे प्यार करता हूँ
और जनता हूँ
तुम भी बखूबी समझ गए थे उस दिन
जब हजारों रास्ते सामने थे तुम्हारे
और एकाधिकार भी था
मेरी भूल का तुमने प्रतीकार ना किया
साथ ही बढ़ते चले गए।
वक़्त के उस मोड पर तुम्हें
मेरी भूल ही भूल ना लगी
.
अब इसे तुम्हारा मुझ पर
एक सवाल ही शेष समझता हूँ
क्या मुझे भी अधिकार है
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©-सत्येंद्र कुमार