“क्या बताऊँ दोस्त”
“क्या बताऊँ दोस्त”
दिखती कोई न राह है
फिर भी जीने की चाह है
ये जिन्दगी न जाने
किस मोड़ पर लाई है
आज खुद से ही मेरी
खुद की लड़ाई है।
“क्या बताऊँ दोस्त”
दिखती कोई न राह है
फिर भी जीने की चाह है
ये जिन्दगी न जाने
किस मोड़ पर लाई है
आज खुद से ही मेरी
खुद की लड़ाई है।