क्या बतलाएं
देख कर तुमको सुकून जो, दिल को मिल जाए।
हम क्या पा लेंगे तुम्हें अब, क्या ही बतलाएं।।
यूं जो जीवन चल रहा है
वक़्त यूं ही ढल रहा है
हार कर मोहन कहे क्या
कर रहा था कर रहा है
।
क्या है करवाना तुम्हें हम, क्या ही कर पाएं।
देख कर तुमको सुकून जो, दिल को मिल जाए।।
यूं सभी तुमको समर्पण
जीत अर्पण हार अर्पण
हार खुदको जीत मांगू
जीत तुमको प्रीत मांगू
।
तुम रहो खुश ये सरल सब, तुम नहीं पाये।
हम क्या पा लेंगे तुम्हें अब, क्या ही बतलाएं ।।
हम हैं क्या रंगत तुम्हारी
तुम हो क्या किस्मत हमारी
है हम ही जिसने है देखी
हर घड़ी मेहनत तुम्हारी
।
हम कभी उलझेंगे तुमसे? क्या कहे और क्या बतायें।
देख कर तुमको सुकून जो, दिल को मिल जाए।।
खुद का गर बिगडे सही है
और कोई गम में नहीं है
हो भी ऐसा तो भले से
तुम नहीं हो हम नहीं हैं
।
पर क्या लगता हैं तुम्हें, ऐसा कभी कुछ हो भी पाए।
हम क्या पा लेंगे तुम्हें अब, क्या ही बतलाएं।।
और अगर कोई दुखी हो
हम दुखी हों तुम दुखी हो
साथ में अपने जमाना
अपने कारण ही दुखी हो
.
फिर तो मतलब ही नहीं हम, क्या ही कर जाएं।
देख कर तुमको सुकून जो, दिल को मिल जाए।।
हम चले जो दूर होकर
जान कर भी साथ खोकर
क्या कोई समझेगा हमको
हम नहीं समझे जो खुदको
।
क्यों ना कोशिश कर लें और, जीवन सुखद सबका बनाएं।
हम ये पा लेंगे, तुम्हें और सबको बतलाएं।।
-मोहन