क्या तुम सुनोगे
में एक बात कहता हूँ..
क्या तुम उस को सुनोगे
जो कुछ तुम्हारे लिए करे
उसी को तो तुम चुनोगे !!
चुन कर अपना साथी बनोगे
फिर उस का तुम भी साथ निभाओगे
यह सिलसिला तो चलता रहेगा
उस से कुछ न कुछ तुम भी तो पाओगे !!
आशा रखोगे..तो निराशा भी पाओगे
फिर जाकर दुसरे को बतलाओगे
दूसरा भी तो तुम से कुछ पाने में
किसी दुसरे को भड़कवाओगे !!
कुछ ऐसी न किसी से आस रखो
अपने करने पर बस विश्वाश रखो
अपने दिमाग का इस्तेमाल करो
फिर शान से चाहे अपना जहाँ रखो !!
अजीत तलवार
मेरठ