क्या पता है तुम्हें
कैसे कटेगा सफ़र ज़िंदगी का
अकेला बहुत हूं क्या पता है तुम्हें
जीने की मेरी अब जो एक ही चाह है
वो याद तेरी है क्या पता है तुम्हें
सुन ले सनम तू, मेरे दिल का राज़ ये
तू ही है इसमें, क्या पता है तुम्हें
दिन हो या रात हो, सुबह हो या शाम हो
करता हूँ याद तुमको, क्या पता है तुम्हें
देखता हूँ जब भी चेहरा तेरा मैं
भूल जाता हूँ सबकुछ, क्या पता है तुम्हें
दिल में बसा लो, सांसों में समा लो
जान हो मेरी तुम, क्या पता है तुम्हें
मिलेगा जहान में न, दूसरा दीवाना तुम्हें
तेरे दर पर बैठा हूँ, क्या पता है तुम्हें
बंद करके आँखों को तुम्हें देख लेता हूँ
रह नहीं सकता बिन तेरे, क्या पता है तुम्हें
नहीं मालूम मुझे तो उसकी चाहत सनम
बस तुम मेरे हो, मुझे ये पता है
मिलाया है उसने तुमसे, बसाया है दिल में मेरे
जो चाहता है वो, क्या पता है तुम्हें