Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Nov 2020 · 1 min read

कौनसा मजहब कहता है

इंसानियत का खून बहाओ
कौनसा मजहब कहता है
मजलूमों को खूब सताओ
कौनसा मजहब कहता है

अहंकार में ज़िद पे अड जाओ
मंदिर मस्जिद पे लड़ जाओ
एक को तोड़ो दूसरा बनाओ
कौनसा मजहब कहता है

Language: Hindi
1 Like · 246 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अगर बात तू मान लेगा हमारी।
अगर बात तू मान लेगा हमारी।
सत्य कुमार प्रेमी
माँ का जग उपहार अनोखा
माँ का जग उपहार अनोखा
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
अश्रुऔ की धारा बह रही
अश्रुऔ की धारा बह रही
Harminder Kaur
*रामचरितमानस में अयोध्या कांड के तीन संस्कृत श्लोकों की दोहा
*रामचरितमानस में अयोध्या कांड के तीन संस्कृत श्लोकों की दोहा
Ravi Prakash
जब अपने ही कदम उलझने लगे अपने पैरो में
जब अपने ही कदम उलझने लगे अपने पैरो में
'अशांत' शेखर
*यूं सताना आज़माना छोड़ दे*
*यूं सताना आज़माना छोड़ दे*
sudhir kumar
गाओ शुभ मंगल गीत
गाओ शुभ मंगल गीत
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
Little Things
Little Things
Dhriti Mishra
#गीत /
#गीत /
*Author प्रणय प्रभात*
‘ चन्द्रशेखर आज़ाद ‘ अन्त तक आज़ाद रहे
‘ चन्द्रशेखर आज़ाद ‘ अन्त तक आज़ाद रहे
कवि रमेशराज
"सबक"
Dr. Kishan tandon kranti
💐प्रेम कौतुक-534💐
💐प्रेम कौतुक-534💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
एक शे'र
एक शे'र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
मंहगाई  को वश में जो शासक
मंहगाई को वश में जो शासक
DrLakshman Jha Parimal
खेल जगत का सूर्य
खेल जगत का सूर्य
आकाश महेशपुरी
ठहर गया
ठहर गया
sushil sarna
बुध्द गीत
बुध्द गीत
Buddha Prakash
प्रेम उतना ही करो जिसमे हृदय खुश रहे
प्रेम उतना ही करो जिसमे हृदय खुश रहे
पूर्वार्थ
इतनी भी तकलीफ ना दो हमें ....
इतनी भी तकलीफ ना दो हमें ....
Umender kumar
हाँ ये सच है कि मैं उससे प्यार करता हूँ
हाँ ये सच है कि मैं उससे प्यार करता हूँ
Dr. Man Mohan Krishna
दूरदर्शिता~
दूरदर्शिता~
दिनेश एल० "जैहिंद"
कोई टूटे तो उसे सजाना सीखो,कोई रूठे तो उसे मनाना सीखो,
कोई टूटे तो उसे सजाना सीखो,कोई रूठे तो उसे मनाना सीखो,
Ranjeet kumar patre
क्या ढूढे मनुवा इस बहते नीर में
क्या ढूढे मनुवा इस बहते नीर में
rekha mohan
हाथ में कलम और मन में ख्याल
हाथ में कलम और मन में ख्याल
Sonu sugandh
बिखरे ख़्वाबों को समेटने का हुनर रखते है,
बिखरे ख़्वाबों को समेटने का हुनर रखते है,
डी. के. निवातिया
वतन की राह में, मिटने की हसरत पाले बैठा हूँ
वतन की राह में, मिटने की हसरत पाले बैठा हूँ
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
हां मैं पागल हूं दोस्तों
हां मैं पागल हूं दोस्तों
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
उस रब की इबादत का
उस रब की इबादत का
Dr fauzia Naseem shad
Loading...