कोरोना और अज्ञातवास
कर्फ्यू हटा हैं कहर नहीं, जीवन से अपने बैर नहीं।
लड़ाई अभी ये शुरू नहीं, तोड़े नियम तो खैर नहीं।।
यह ना सोचें मौत टली, मौत तो सर के पास खड़ी।
रहे सचेत तो बच जाओगे, वरना घर को ले जाओगे।।
आँख बंद ना करो अभी, देखो सर पे मौत खड़ी।
अभी समय हैं अज्ञातवास का, घर में सुरक्षित हैं निवास का।।
ललकार कहे यह बात सही, अभी नहीं तो कभी नहीं।
बचे रहे तो तुम ये जानो, काम देश के आ जाओगे।।
बने रहे जो मूर्ख अगर तुम, बर्बाद देश को कर जाओगे।
डरा हुआ संपूर्ण जगत हैं, अब तो चेत जगालो प्यारो।।
हंसी मजाक ठिठोली छोड़ो, घर में रहकर परिवार बचालो।
लड़ने वाले लड़ ही लेंगे, उनको ना दुविधा में डालो।।
जनसंख्या है डेड अरब की, तुम ही सोचो तुम ही जानो।
कैसे तुमको सरकार बचाए, इतनी सुविधा कहां से लाए।।
फौजी हूँ मैं मातृभूमि का, मेरी विनती मान भी जाओ।
करें फरियाद ललकार देश से, लाशों का ना बोझ उठवाओ।।
दर्द हमें भी होता हैं, जब अपना कोई खोता हैं।
अपनी नहीं तो राष्ट्र की सोचो, वो पहले से रोता हैं।।
चाइना इटली स्पेन हैं हारे, अमेरिका और ब्रिटेन भी हारे।
सोचो हालत क्या होगी, अगर अभी भी हम न जागे।।
देश को अगर बचाना हैं तो, अज्ञातवास पर जाना होगा।
तुम जब बैठ जाओगे घरपे, सरकार करेगी काम जब खुलके।।
=============================
“ललकार भारद्वाज”