‘’कोरोना’’ एक ‘’सबक़’’
??’’कोरोना’’ एक ‘’सबक’’??
कोरोना की कहानी..हम सब की ज़ुबानी!
डर की चादर जो ओढ़ कर पहनी, हैरानी और परेशानी!
कोरोना का सबक़ तो इतना, सिखा रहा कितना!
रोग है तन का, बीमार हुआ मन का!
नफ़रत का, द्वेष का, घड़ा है भरा,
सोचा ना समझा..पर निकल पड़ा!
कैसे होगा बचाव, संघर्ष बड़ा,
अपना,पराया, सब है धरा,
समय का पहिया चलता चला!
समय ने खेल ऐसा खेला,
हम सब ने कोरोना झेला!
जीने की इच्छा, अपनों का मोह,
अच्छा सोच, अच्छा ही हो!
आया है कोरोना, जाएगा कोरोना,परिश्रम को बढ़ाना है,
दिवार करो..ना की, तोड़ कर, स्वस्थ मन का कोना बसाना है!
सीख तो कड़ी..पर खुद को सिखाना है!
तन को दृढ़, मन को स्थिर,
बीस को इक्कीस और बेहतर बनाना है????
सपना
(बैंकॉक,थाईलैण्ड)